
आख़िर क्या है kumbh के पीछे की कहानी….
कहा जाता है कि महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण इंद्र और अन्य देवता कमजोर हो गए थे। इस अवसर का लाभ उठाकर दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया और उन्हें पराजित कर दिया।
क्या है कुंभ से mahakumbh तक की कहानी ...
कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 साल में किया जाता है और महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल में एक बार घटता है। यह मेला प्रयागराज में विशेष रूप से आयोजित किया गया है। mahakumbh 12 कुंभ मेलों के बाद होता है, यानी हर 12 बार कुंभ मेले के बाद यह विशेष महा कुंभ का आयोजन होता है। 144 वर्ष और 12 कुंभ होने के बाद यह आता है इसीलिये इसे महाकुंभ के नाम से जाना जाता है यह मेला अन्य कुंभ मेलों से भी अलग होता है, क्योंकि यह बहुत अधिक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है और लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय है अवसर होता है।
आख़िर क्यों ? कहां जाता है महाकुंभ स्नान से मिलती है सारे पापो से मुक्ति?
ज्योतिष गणना के अनुसार, कुम्भ मेला मकर संक्रांति के दिन से प्रारंभ होता है। इस समय सूर्य और चंद्रमा वृश्चिक राशि में होते हैं, जबकि बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस विशेष संयोग को “कुंभ स्नान-योग” कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह शुभ अवसर धरती से स्वर्ग और अन्य उच्च लोकों के द्वार खुलते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इससे आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस स्नान को स्वर्ग दर्शन के समान माना जाता है और महाकुंभ में स्नान करने से समस्त पाप धुल जाता है और पापो से मुक्त हो जाता है, हिंदू धर्म में इसका बहुत गहरा महत्व है।
क्यों विशेष महत्व है Prayagraj में कुम्भ स्नान का ?
शास्त्रों में प्रयागराज को ‘तीर्थों का राजा’ कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने यहीं पहला यज्ञ किया था। इस स्थान का उल्लेख महाभारत और कई अन्य पुराणों में भी एक पवित्र स्थान के रूप में किया गया है जहाँ धार्मिक अनुष्ठान किए जाते थे इसीलिये ,प्रयागराज में कुम्भ स्नान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है ।
कुंभ मेलों के प्रकार
1. महाकुंभ मेला:
महाकुंभ मेला केवल प्रयागराज में आयोजित होता है। यह सबसे बड़ा मेला है, जो 144 सालों में एक बार या 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद आता है।
2. पूर्ण कुंभ मेला:
3. अर्ध कुंभ मेला:
4. कुंभ मेला:
5. माघ मेला (मिनी कुंभ मेला):
कुंभ मेले की तिथि और स्थान कैसे तय होते हैं ?
1. प्रयागराज: जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं, तो kumbh मेले का आयोजन प्रयागराज में होता है।
2. हरिद्वार: जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं, तब kumbh मेला हरिद्वार में आयोजित होता है।
3. नासिक: जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, तब नासिक में kumbh मेला आयोजित किया जाता है।
4. उज्जैन: जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं, तब kumbh मेला उज्जैन में आयोजित होता है। विशेष बात यह है कि उज्जैन के कुंभ मेले को सिंहस्थ कुंभ कहा जाता है क्योंकि इसमें सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश होना मुख्य कारण है।
इस प्रकार, कुंभ मेले का आयोजन खगोलीय गणना और ग्रहों की स्थिति के आधार पर तय किया जाता है।
भारत बंद की बड़ी तस्वीर: श्रमिकों का गुस्सा, बिहार-बंगाल में रेलवे ट्रैक जाम, केरल-ओडिशा समेत कई राज्यों परिवहन और सेवाओं पर असर
9 जुलाई, 2025 को, 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के गठबंधन द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल –
9 जुलाई को भारत बंद का ऐलान: किसानों और ट्रेड यूनियनों की बड़ी मांगें: जानें आम जनता पर क्या होगा असर
क्यों जा रहे हैं 9 जुलाई को लाखों मज़दूर और किसान हड़ताल पर ? भारत
यूपी स्कॉलरशिप 2025-26: आवेदन करने की पूरी गाइड, तिथियां, पात्रता और दस्तावेज
क्या आप उत्तर प्रदेश में पढ़ रहे छात्र हैं और अपनी शिक्षा के लिए वित्तीय
शानदार बॉलीवुड डेब्यू: शनाया कपूर ने ‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ से मचाया धमाल
शनाया कपूर ने आखिरकार बॉलीवुड में अपने करियर की धमाकेदार शुरुआत कर दी है।

होलिका पर्व की शुरुआत बसंत पंचमी से क्यों होती है? जानें होलिका दहन का मुहूर्त और होली की तिथि
होलिका 2026:होलिका रखने से लेकर दहन तक होली उत्सव की पूरी जानकारी… ज्योतिष के अनुसार

Saif ali khan par hamla :1 करोड़ की मांग,मुंबई पुलिस की जांच और सुरक्षा पर सवाल
saif ali khan par hamla मामले में मुंबई पुलिस की जांच जारी। जानें घटना का
Sir/mam please daily update information.
Excellent speech
Good has explained
Nice good 😊