मध्यम वर्ग और उद्योगों के लिए Budget 2025: क्या हो सकते हैं बड़े बदलाव?

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Budget 2025
मध्यम वर्ग और वेतनभोगी लोग 1 फरवरी को आने वाले केंद्रीय Budget 2025 का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत ने उनकी आर्थिक स्थिति पर असर डाला है। ऐसे में, करदाताओं को उम्मीद है कि सरकार इस बजट में उनके लिए राहत की घोषणा करेगी। आयकर में छूट और सुधार की मांग बढ़ रही है, क्योंकि लोग चाहते हैं कि सरकार इन चुनौतियों का समाधान करे।

Budget 2025: उद्योग जगत के सुझाव और अपेक्षाएँ

Budget 2025 की तैयारी के दौरान वित्त मंत्रालय ने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की, जिसमें रोजगार सृजन, आर्थिक खपत और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। उद्योग जगत ने मध्यम वर्ग के लिए कर राहत, ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कमी और सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर जोर बनाए रखने की बात कही। बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की और इसमें कई सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए।

मध्यम वर्ग के लिए कर छूट

मध्यम वर्ग को राहत देने के लिए कर छूट की मांग प्रमुख रही। उद्योग जगत ने प्रस्ताव दिया कि 20 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले व्यक्तियों को आयकर छूट दी जानी चाहिए। उनका मानना है कि इससे लोगों की डिस्पोजेबल आय बढ़ेगी, जो अंततः उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देगी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी।

ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कमी

उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने पेट्रोल और डीजल पर कर कम करने का सुझाव दिया। उनका मानना है कि इससे आम लोगों के खर्च में कमी आएगी और माल और परिवहन की लागत भी कम होगी। इससे व्यापार करने में आसानी होगी और आर्थिक गतिविधियों को मजबूती मिलेगी।

बुनियादी ढांचे पर जोर

बैठक में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और एसोचैम जैसे प्रमुख संगठनों ने होटल और पर्यटन क्षेत्र को बुनियादी ढांचे का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा। उनका मानना है कि इस कदम से विदेशी निवेश आकर्षित होगा और आतिथ्य क्षेत्र की उधारी लागत कम होगी। इससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पर्यटन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

रोजगार और मजदूरी में सुधार

सीआईआई अध्यक्ष ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत न्यूनतम मजदूरी 267 रुपये से बढ़ाकर 375 रुपये प्रतिदिन करने का सुझाव दिया। इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ाने और आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिलेगी।

पूंजीगत व्यय में वृद्धि

उद्योग ने सुझाव दिया कि सरकार को भौतिक, सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक पूंजीगत व्यय बढ़ाना चाहिए। फिक्की के उपाध्यक्ष ने कहा कि 2025-26 के Budget में पूंजीगत व्यय को 15% बढ़ाने पर विचार किया जाना चाहिए। इससे विकास की गति को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

सरलीकृत कर प्रणाली की मांग

उद्योग प्रतिनिधियों ने स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) की मौजूदा संरचना को सरल बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया से उद्योगों की कार्यशील पूंजी की कमी कम होगी। साथ ही, जीएसटी के अधीन लेनदेन पर टीडीएस/टीसीएस लगाने की प्रथा को बंद करने की सिफारिश की गई, क्योंकि इससे संबंधित जानकारी जीएसटी फाइलिंग के माध्यम से पहले से ही उपलब्ध है।

हरित ऊर्जा और पर्यावरण पर ध्यान

‘नेट जीरो’ के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उद्योग ने हरित ऊर्जा और संक्रमण क्षेत्रों में निवेश के लिए एक मजबूत नीति ढांचे की मांग की। उन्होंने कहा कि इस दिशा में संसाधनों का उचित उपयोग न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी फायदेमंद होगा।

एमएसएमई के लिए विशेष योजनाएँ

एसोचैम अध्यक्ष ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए अनुमानित कराधान प्रणाली के दायरे का विस्तार करने का आह्वान किया। यह प्रणाली छोटे व्यवसायों को उनकी सकल प्राप्तियों के अनुमानित प्रतिशत के आधार पर कर का भुगतान करने की अनुमति देती है, जिससे कर अनुपालन सरल हो जाता है। उन्होंने एमएसएमई के लिए विशेष टाउनशिप विकसित करने का सुझाव दिया, जिसमें प्रशिक्षण केंद्र, आरएंडडी सुविधाएं, वित्तीय संस्थान और आवास जैसी सुविधाएं हों।

निवेश को बढ़ावा देने के सुझाव

उद्योग ने प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को समाप्त करने की मांग की। उनका मानना है कि इस तरह के कदम से पूंजी बाजार में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और वित्तीय क्षेत्र मजबूत होगा।
Budget 2025 से उद्योग जगत और आम जनता को कई उम्मीदें हैं। इन सुझावों पर अमल करने से न केवल आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि रोजगार के अधिक अवसर भी सृजित होंगे। वित्त मंत्री से इस बार के Budget में संतुलित और दूरदर्शी निर्णयों की अपेक्षा है, जो सभी वर्गों को लाभ पहुंचाएंगे।

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